अनन्तरः सपिण्डाद्यस्तस्य तस्य धनं भवेत् । अत ऊर्ध्वं सकुल्यः स्यादाचार्यः शिष्य एव वा ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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