उत्पद्यते गृहे यस्तु न च ज्ञायेत कस्य सः । स गृहे गूढ उत्पन्नस्तस्य स्याद्यस्य तल्पजः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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