यादृशं फलं आप्नोति कुप्लवैः संतरञ् जलम् । तादृशं फलं आप्नोति कुपुत्रैः संतरंस्तमः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *