Adhyay : 9 Mantra : 142 Back to listings गोत्ररिक्थे जनयितुर्न हरेद्दत्त्रिमः क्व चित् । गोत्ररिक्थानुगः पिण्डो व्यपैति ददतः स्वधा Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related