अर्थस्य संग्रहे चैनां व्यये चैव नियोजयेत् । शौचे धर्मेऽन्नपक्त्यां च पारिणाह्यस्य वेक्षणे । ।

मद्य, भांग आदि मादक द्रव्यों का पीना, दुष्टपुरुषों का संग, पतिवियोग, अकेली जहां-तहां व्यर्थ पाखंडी आदि के दर्शन-मिस से फिरती रहना, और पराये घर में जाके शयन करना वा वास ये छः स्त्री को दूषित करनेवाले दुर्गुण है ।

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