Adhyay : 9 Mantra : 107 Back to listings यस्मिन्नृणं संनयति येन चानन्त्यं अश्नुते । स एव धर्मजः पुत्रः कामजानितरान्विदुः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related