एष स्त्रीपुंसयोरुक्तो धर्मो वो रतिसंहितः । आपद्यपत्यप्राप्तिश्च दायधर्मं निबोधत ।

(एषः) यह (स्त्रीपुंसयोः) स्त्री-पुरुष के (रतिसंहितः धर्मः) रति = स्नेह या संयोग सहित (वियोगकाल के भो) धर्म (च) और (आपदि + अपत्यप्राप्ति) आपत्काल में नियोगविधि से सन्तानप्राप्ति की बात (वः उक्तः तुमसे कही ।

(दायभागं निबोधत्) अब दायभाग का  विधान सुनो—

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