तथा नित्यं यतेयातां स्त्रीपुंसौ तु कृतक्रियौ । यथा नाभिचरेतां तौ वियुक्तावितरेतरम्

कृतक्रियौ स्त्रीपुंसौ) विवाहित स्त्री-पुरुष (नित्यं तथा यतेयाताम्) सदा ऐसा यत्न करें कि (यथा) जिस किसी भी प्रकार से (तौ) वे (इतरेतरम्) एक दूसरे से (वियुक्तौ न + अभिचरेताम्) अलग न होवें = सम्बन्धविच्छेद न हो पाये ।

दायभाग विवाद-वर्णन—

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