न कश्चिद्योषितः शक्तः प्रसह्य परिरक्षितुम् । एतैरुपाययोगैस्तु शक्यास्ताः परिरक्षितुम् ।

क्योंकि प्राप्तकर्त्ता पति आदि पुरुषों द्वारा घर में रोक कर रखी हुई स्त्रियां भी असुरक्षित हैं = बुराइयों से बच नही पातीं जो अपनी रक्षा स्वयं करती हैं वस्तुतः वही (बुराई से)  सुरक्षित रहती हैं ।

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