यद्द्वयोरनयोर्वेत्थ कार्येऽस्मिंश्चेष्टितं मिथः । तद्ब्रूत सर्वं सत्येन युष्माकं ह्यत्र साक्षिता ।

हे साक्षि लोगो! इस कार्य में इन दोनों के परस्पर कर्मों में जो तुम जानते हो उस को सत्य के साथ बोलो क्यों कि तुम्हारी इस कार्य में साक्षी है ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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