नार्थसंबन्धिनो नाप्ता न सहाया न वैरिणः । न दृष्टदोषाः कर्तव्या न व्याध्यार्ता न दूषिताः

ऋण आदि के लेने  – देन से सम्बन्ध रखने वाले साक्षी नहीं हो सकते न मित्र न सहायक – नौकार आदि, न अभियोगी के शत्रु आदि, जिसकी साक्षी पहले झूठी सिद्ध हो चुकी है वे भी नहीं न रोगग्रस्त, और न अपराधी – सजा पाये व्यक्ति साक्षी हो सकते हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *