जो अभियोक्ता – मुद्दई पहले मुकद्दमा दायर करके फिर अपने मुकद्दमे के लिए कुछ न कहे तो उसे धर्मानुसार कारावास या सजा और जुर्माना करने चाहिए, इसी प्रकार यदि तीन पखवाड़े अर्थात् डेढ़ मास तक अभियोगी अपनी सफाई में कुछ न कहे तो धर्मानुसार – कानून के अनुसार वह हार जाता है ।