अर्थेऽपव्ययमानं तु करणेन विभावितम् । दापयेद्धनिकस्यार्थं दण्डलेशं च शक्तितः

जो कोई कर्जदार कर्ज लेकर) कर्ज लेने से मुकर जाये और लेख, साक्षी आदि साधनों से उसका कर्ज लिया जाना निश्चित हो जाये तो महाजन का धन भी दिलवाये और उसकी शक्ति के अनुसार कुछ जुर्माना भी करे ।

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