ध्वजाहृतो भक्तदासो गृहजः क्रीतदत्त्रिमौ । पैत्रिको दण्डदासश्च सप्तैते दासयोनयः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *