Adhyay : 8 Mantra : 41 Back to listings जातिजानपदान्धर्मान्श्रेणीधर्मांश्च धर्मवित् । समीक्ष्य कुलधर्मांश्च स्वधर्मं प्रतिपादयेत् । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related