दीर्घाध्वनि यथादेशं यथाकालं तरो भवेत् । नदीतीरेषु तद्विद्यात्समुद्रे नास्ति लक्षणम्

नदी का लम्बा रास्ता पार करने के लिए स्थान के अनुसार (तेज बहाव, मन्द प्रवाह, दुर्गम स्थल आदि) समय के अनुसार (सर्दी, गर्मी, रात्रि आदि) किराया निश्चित होना चाहिए यह नियम नदी – तट के लिए समझना चाहिए समुद्र में यह नियम नहीं है अर्थात् समुद्र में वहां की स्थिति के अनुसार किराया निश्चित करना चाहिए ।

‘‘जो लम्बे मार्ग में समुद्र की खाडि़यां वा नदी तथा बड़े नदों में जितना लम्बा देश हो उतना कर स्थापन करे और महासमुद्र में निश्चित कर स्थापन नहीं हो सकता किन्तु जैसा अनुकूल देखे कि जिससे राजा और बड़े – बड़े नौकाओं के समुद्र में चलाने वाले दोनों लाभयुक्त हों वैसी व्यवस्था करे ।’’

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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