उपचारक्रिया केलिः स्पर्शो भूषणवाससाम् । सह खट्वासनं चैव सर्वं संग्रहणं स्मृतम्

इन्द्रियासक्ति के कारण एक दूसरे को आकर्षित करने के लिए माला, सुगन्ध आदि शृंगारिक वस्तुओं का आदान – प्रदान करना विलासक्रीडाएं – हंसी – मखौल, छेड़खानी आदि आभूषण और कपड़ों आदि का स्पर्श (शरीर स्पर्श तो इसमें स्वतः ही परिगणित हो जाता है) और साथ मिलकर अर्थात् सटकर खाट आदि पर बैठना ये सब बातें ‘संग्रहण’ – विषयगमन में मानी गयी हैं ।

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