तत्समुत्थो हि लोकस्य जायते वर्णसंकरः । येन मूलहरोऽधर्मः सर्वनाशाय कल्पते

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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