Adhyay : 8 Mantra : 352 Back to listings परदाराभिमर्शेषु प्रवृत्तान्नॄन्महीपतिः । उद्वेजनकरैर्दण्डैश्छिन्नयित्वा प्रवासयेत् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related