परदाराभिमर्शेषु प्रवृत्तान्नॄन्महीपतिः । उद्वेजनकरैर्दण्डैश्छिन्नयित्वा प्रवासयेत्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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