दुष्ट पुरूषों के मारने में हन्ता को पाप नहीं होता चाहे प्रसिद्ध (सबके सामने) मारे चाहे अप्रसिद्ध (एकान्त में) क्यों कि क्रोधी को क्रोध से मारना जानो क्रोध से क्रोध की लड़ाई है ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
दुष्ट पुरूषों के मारने में हन्ता को पाप नहीं होता चाहे प्रसिद्ध (सबके सामने) मारे चाहे अप्रसिद्ध (एकान्त में) क्यों कि क्रोधी को क्रोध से मारना जानो क्रोध से क्रोध की लड़ाई है ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)