अनेन विधिना राजा कुर्वाणः स्तेननिग्रहम् । यशोऽस्मिन्प्राप्नुयाल्लोके प्रेत्य चानुत्तमं सुखम् ।

राजा इस उपर्युक्त (८।३०२-३४२) विधि से चारों को नियन्त्रित एवं दण्डित करता हुआ इस जन्म में या लोक में यश को और परजन्म में अच्छे सुख को प्राप्त करता है ।

(१४) ‘साहस’ – डाका आदि बलात्कारपूर्वक किये गये अपराधों का निर्णय – (३४४-३५१)

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