परिपूतेषु धान्येषु शाकमूलफलेषु च । निरन्वये शतं दण्डः सान्वयेऽर्धशतं दमः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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