पुष्पेषु हरिते धान्ये गुल्मवल्लीनगेषु च । अन्येष्वपरिपूतेषु दण्डः स्यात्पञ्चकृष्णलः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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