गर्धभाजाविकानां तु दण्डः स्यात्पञ्चमाषिकः । माषिकस्तु भवेद्दण्डः श्वसूकरनिपातने । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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