जीवन्तीनां तु तासां ये तद्धरेयुः स्वबान्धवाः । ताञ् शिष्याच्चौरदण्डेन धार्मिकः पृथिवीपतिः

उन (८।२८ में उक्त) जीती हुई स्त्रियों के धन को जो उनके रिश्तेदार या भाई – बन्धु हर लें – कब्जा लें तो धार्मिक राजा उन व्यक्तियों को चोर के समान दण्ड से शिक्षा दे अर्थात् चोर के समान दण्ड देकर उनको सही रास्ते पर लाये ।

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