मातरं पितरं जायां भ्रातरं तनयं गुरुम् । आक्षारयञ् शतं दाप्यः पन्थानं चाददद्गुरोः

माता, पिता, पत्नी, भाई, बेटा गुरू इनको दोष लगाकर निन्दा करने पर और गुरू को रास्ता न देने पर सौ पण दंड होना चाहिए ।

(१२) दण्ड से घायल करने सम्बन्धी विवाद (२७८-३००)-

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