Adhyay : 8 Mantra : 270 Back to listings एकजातिर्द्विजातींस्तु वाचा दारुणया क्षिपन् । जिह्वायाः प्राप्नुयाच्छेदं जघन्यप्रभवो हि सः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related