बाह्यैर्विभावयेल्लिङ्गैर्भावं अन्तर्गतं नृणाम् । स्वरवर्णेङ्गिताकारैश्चक्षुषा चेष्टितेन च ।

. न्यायकत्र्ता को बाहर के चिन्हों से शरीर की मुद्राएं, आदि के लक्षणों से स्वर – बोलते समय रूकना, घबराना, गद्गद् होना आदि से, वर्ण – चेहरे का फीका पड़ना, लज्जित होना आदि से इंगित – मुकद्दमे के अभियुक्तों के परस्पर के संकेत, सामने न देख सकना, इधर – उधर देखना आदि से; आकार – मुख नेत्र आदि का आकार बनाना, कांपना, पसीना आना आदि से आंखों में उत्पन्न होने वाले भावों से और चेष्टाओं – हाथ मसलना, अंगुलियां चटकाना, अंगूठे से जमीन कुरेदना, सिर खुजलाना आदि से मुकद्दमे में शामिल लोगों के मन के असली भावों को भांप लेना – जान लेना चाहिये ।

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