Adhyay : 8 Mantra : 2 Back to listings तत्रासीनः स्थितो वापि पाणिं उद्यम्य दक्षिणम् । विनीतवेषाभरणः पश्येत्कार्याणि कार्यिणाम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related