तत्रासीनः स्थितो वापि पाणिं उद्यम्य दक्षिणम् । विनीतवेषाभरणः पश्येत्कार्याणि कार्यिणाम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *