त्रसरेणवोऽष्टौ विज्ञेया लिक्षैका परिमाणतः । ता राजसर्षपस्तिस्रस्ते त्रयो गौरसर्षपः ।

माप के अनुसार आठ ‘त्रसरेणु’ की एक ‘लिक्षा’ होती हैं, और उन तीन लिक्षाओं का एक ‘राजसर्षप’ उन तीन ‘राज-सर्षपों’ का एक ‘गौरसर्षप’ होता है ।

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