कामाद्दशगुणं पूर्वं क्रोधात्तु त्रिगुणं परम् । अज्ञानाद्द्वे शते पूर्णे बालिश्याच्छतं एव तु ।

काम से झूठी गवाही देने पर दशगुना ‘प्रथम साहस’ क्रोध से देने पर तिगुना ‘मध्यम साहस’ अज्ञान से देने पर दो सौ ‘पण’ और बालकपन में देने से सौ ‘पण’ दण्ड होना चाहिए ।

‘‘जो पुरूष कामना से मिथ्या साक्षी देवे उससे पच्चीस रूपये दण्ड लेवे, जो पुरूष क्रोध से झूठी साक्षी देवे उससे छयालीस रूपये चैदह आने दण्ड लेवे, जो पुरूष अज्ञानता से झूठी साक्षी देवे उससे छह रूपये दण्ड लेवे, और जो बालकपन से मिथ्या साक्षी देवे तो उससे एक रूपया नौ आने दण्ड लेवे ।’’

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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