Adhyay : 8 Mantra : 107 Back to listings त्रिपक्षादब्रुवन्साक्ष्यं ऋणादिषु नरोऽगदः । तदृणं प्राप्नुयात्सर्वं दशबन्धं च सर्वतः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related