त्रिपक्षादब्रुवन्साक्ष्यं ऋणादिषु नरोऽगदः । तदृणं प्राप्नुयात्सर्वं दशबन्धं च सर्वतः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *