. पुरोहित और ऋत्विक् का स्वीकार इसलिये करे कि वे अग्निहोत्र और पक्षेष्टि आदि सब राजघर के कर्मों को करें और आप सर्वदा राज कार्य में तत्पर रहे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
. पुरोहित और ऋत्विक् का स्वीकार इसलिये करे कि वे अग्निहोत्र और पक्षेष्टि आदि सब राजघर के कर्मों को करें और आप सर्वदा राज कार्य में तत्पर रहे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)