तस्य मध्ये सुपर्याप्तं कारयेद्गृहं आत्मनः । गुप्तं सर्वर्तुकं शुभ्रं जलवृक्षसमन्वितम् ।

. उसके मध्य में जल, वृक्ष – पुष्पादिक युक्त सब प्रकार से रक्षित सब ऋतुओं में सुखकारक श्वेतवर्ण अपने लिए घर जिसमें सब राज कार्य का निर्वाह हो वैसा बनवावे ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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