यथा दुर्गाश्रितानेतान्नोपहिंसन्ति शत्रवः । तथारयो न हिंसन्ति नृपं दुर्गसमाश्रितम् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *