पैशुन्यं साहसं द्रोह ईर्ष्यासूयार्थदूषणम् । वाग्दण्डजं च पारुष्यं क्रोधजोऽपि गणोऽष्टकः ।

. क्रोध से उत्पन्न व्यसनों को गिनाते हैं – पैशुन्य अर्थात् चुगली करना बिना विचारे बलात्कार से किसी स्त्री से बुरा काम करना द्रोह रखना ईष्र्या अर्थात् दूसरे की बढ़ाई वा उन्नति देखकर जला करना असूर्या – दोषों में गुण, गुणों में दोषारोपण करना अर्थदूषण अर्थात् अधर्मयुक्त बुरे कामों में धन आदि का व्यय करना कठोर वचन बोलना और बिना अपराध का कड़ा वचन वा विशेष दंड देना ये आठ दुर्गुण क्रोध से उत्पन्न होते हैं ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *