दृढ़ोत्साही होकर जो काम से दश और क्रोध से आठ दुष्ट व्यसन कि जिनमें फंसा हुआ मनुष्य कठिनता से निकल सके उनको प्रयत्न से छोड और छुड़ा देवे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
दृढ़ोत्साही होकर जो काम से दश और क्रोध से आठ दुष्ट व्यसन कि जिनमें फंसा हुआ मनुष्य कठिनता से निकल सके उनको प्रयत्न से छोड और छुड़ा देवे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)