जहां कृष्णवर्ण, रक्तनेत्र भयंकर पुरूष के समान पापों का नाश करने हारा दण्ड विचरता है वहां प्रजा मोह को प्राप्त न होके आनन्दित होती है परन्तु जो दण्ड का चलाने वाला पक्षपातरहित विद्वान् हो तो ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
जहां कृष्णवर्ण, रक्तनेत्र भयंकर पुरूष के समान पापों का नाश करने हारा दण्ड विचरता है वहां प्रजा मोह को प्राप्त न होके आनन्दित होती है परन्तु जो दण्ड का चलाने वाला पक्षपातरहित विद्वान् हो तो ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)