राजा अपनी या अपने राज्य की रक्षा के लिए आरोग्यता से युक्त धान्य – घास आदि से उपजाऊ रहने वाली सदैव जहां पशुओं की वृद्धि होती हो, ऐसी भूमि को भी बिना विचार किये छोड़ देवे अर्थात् विजयी राजा को देनी पड़े तो दे दे, उसमें कष्ट अनुभव न करे ।
राजा अपनी या अपने राज्य की रक्षा के लिए आरोग्यता से युक्त धान्य – घास आदि से उपजाऊ रहने वाली सदैव जहां पशुओं की वृद्धि होती हो, ऐसी भूमि को भी बिना विचार किये छोड़ देवे अर्थात् विजयी राजा को देनी पड़े तो दे दे, उसमें कष्ट अनुभव न करे ।