सदा इस बात को दृढ़ रखे कि कभी बुद्धिमान् कुलीन शूरवीर चतुर दाता किये हुए को जानने हारे और धैर्यवान् पुरूष को शत्रु न बनावे क्यों कि जो ऐसे को शत्रु बनावेगा वह दुःख पावेगा ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
सदा इस बात को दृढ़ रखे कि कभी बुद्धिमान् कुलीन शूरवीर चतुर दाता किये हुए को जानने हारे और धैर्यवान् पुरूष को शत्रु न बनावे क्यों कि जो ऐसे को शत्रु बनावेगा वह दुःख पावेगा ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)