मार्गशीर्षे शुभे मासि यायाद्यात्रां महीपतिः । फाल्गुनं वाथ चैत्रं वा मासौ प्रति यथाबलम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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