आयत्यां गुणदोषज्ञस्तदात्वे क्षिप्रनिश्चयः । अतीते कार्यशेषज्ञः शत्रुभिर्नाभिभूयते । ।

जो राजा भविष्यत् अर्थात् आगे करने वाले कर्मों में गुण – दोषों का ज्ञाता वर्तमान में तुरन्त निश्चय का कत्र्ता, और किये हुए कार्यों में शेष कत्र्तव्य को जानता है वह शत्रुओं से पराजित कभी नहीं होता ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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