बलस्य स्वामिनश्चैव स्थितिः कार्यार्थसिद्धये । द्विविधं कीर्त्यते द्वैधं षाड्गुण्यगुणवेदिभिः ।

. ‘‘कार्यसिद्धि के लिए सेनापति और सेना के दो विभाग करके विजय करना दो प्रकार का द्वैध कहाता है ।’’

(स० प्र० षष्ठ समु०)

षड्गुणों के महत्व को जानने वालों ने द्वैधीभाव दो प्रकार का कहा है – कार्य की सिद्धि के लिए १- सेना के दो भाग करके एक भाग सेना को सेनापति के आधीन करना और २ – सेना का एक भाग राजा द्वारा अपने आधीन रखना ।

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