तत्र स्थितः प्रजाः सर्वाः प्रतिनन्द्य विसर्जयेत् । विसृज्य च प्रजाः सर्वा मन्त्रयेत्सह मन्त्रिभिः ।

वहां खड़ा रहकर जो प्रजाजन उपस्थित हों उन को मान्य दे और उनको छोड़कर मुख्यमंत्री के साथ राज्य – व्यवस्था का विचार करे ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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