‘‘जो राजपुरूष अन्याय से वादी – प्रतिवादी से गुप्त धन लेके पक्षपात से अन्याय करे उसका सर्वस्व हरण करके, यथायोग्य दण्ड देकर, ऐसे देश में रखे कि जहां से पुनः लौटकर न आ सके । क्यों कि यदि उसको दण्ड न दिया जाये तो उसको देखके अन्य राज पुरूष भी ऐसे दुष्ट काम करेंगे और दण्ड दिया जाये तो बचे रहेंगे ।’’
(स० प्र० षष्ठ समु०)
पापी मन वाले वे रिश्वतखोर और ठग राजपुरूष यदि काम कराने वालों और मुकद्दमे वालों से धन अर्थात् रिश्वत ले ही लें तो उनका सब कुछ अपहरण करके राजा उन्हें देश निकाला दे दे ।