ग्रामस्याधिपतिं कुर्याद्दशग्रामपतिं तथा । विंशतीशं शतेशं च सहस्रपतिं एव च ।

. एक – एक ग्राम में एक – एक प्रधान पुरूष को रखे उन्हीं दश ग्रामों के ऊपर दूसरा उन्हीं बीस ग्रामों के ऊपर तीसरा उन्हीं सौ ग्रामों के ऊपर चैथा और उन्हीं सहस्त्र ग्रामों के ऊपर पांचवां पुरूष रखे ।

अर्थात् जैसे आजकल एक ग्राम में एक पटवारी, उन्हीं दशग्रामों में एक थाना और दो थानों पर एक बड़ा थाना और उन पांच थानों पर एक तहसील और दस तहसीलों पर एक जिला नियत किया है ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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