यदि ते तु न तिष्ठेयुरुपायैः प्रथमैस्त्रिभिः । दण्डेनैव प्रसह्यैताञ् शनकैर्वशं आनयेत्

यदि वे शत्रु डाकू, चोर आदि पूर्वोक्त साम, दाम, भेद इन तीन उपायों से शान्त न हों या वश में न आयें तो राजा इन्हें दण्ड के द्वारा ही बलपूर्वक सावधानीपूर्वक वश में लाये ।

‘‘और जो इनसे वश में न हों तो अतिकठिन दण्ड से वश में करे ।’’

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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