बकवच्चिन्तयेदर्थान्सिंहवच्च पराक्रमे । वृकवच्चावलुम्पेत शशवच्च विनिष्पतेत्

जैसे बगुला ध्यानावस्थित होकर मच्छी के पकड़ने को ताकता है वैसे अर्थसंग्रह का विचार किया करे, द्रव्यादि पदार्थ और बल की वृद्धि कर शत्रु को जीतने के लिए सिंह के समान पराक्रम करे चीते के समान छिपकर शत्रुओं को पकड़े और समीप में आये बलवान् शत्रुओं से सुस्से (खरगोश) के समान दूर भाग जाये और पश्चात् उनको छल से पकड़े ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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