नित्यं उद्यतदण्डस्य कृत्स्नं उद्विजते जगत् । तस्मात्सर्वाणि भूतानि दण्डेनैव प्रसाधयेत्

जिस राजा के राज्य में सर्वदा दण्ड के प्रयोग का निश्चय रहता है तो उससे सारा जगत् भयभीत रहता है इसीलिए सब प्राणियों को दण्ड से साधे अर्थात् दण्ड के भय से अनुशासन में रखे ।

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