यह चार प्रकार का राज्य के लिए पुरूषार्थ करने का उद्देश्य समझना चाहिए, राजा आलस्य रहित होकर इस उद्देश्य का सदैव पालन करता रहे ।
‘‘इस चार प्रकार के पुरूषार्थ के प्रयोजन को जाने, आलस्य छोड़कर इसका भलीभांति नित्य अनुष्ठान करे ।’’
(स० प्र० षष्ठ समु०)
यह चार प्रकार का राज्य के लिए पुरूषार्थ करने का उद्देश्य समझना चाहिए, राजा आलस्य रहित होकर इस उद्देश्य का सदैव पालन करता रहे ।
‘‘इस चार प्रकार के पुरूषार्थ के प्रयोजन को जाने, आलस्य छोड़कर इसका भलीभांति नित्य अनुष्ठान करे ।’’
(स० प्र० षष्ठ समु०)